Diabetes Mellitus मधुमेह उपचार

 Diabetes Mellitus मधुमेह  

       

  

यह कार्बोहाइड्रेट metabolism चयापचय की एक दीर्घकालीन बीमारी है जिसके कारण, ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है 


ज्यादातर इसे इंसुलिन insulinकी कमी से आया हुआ माना जाता है

जबकि हमेशा ऐसा नहीं होता. 


(शरीर में इंसुलिन की कमी के कुछ कारण है T 8में obstruction यानी रुकावट हो तो ,या पक्रियास को ब्लड सप्लाई कम हो तो ,या गोल ब्लैडर में प्रॉब्लम हो तो भी ऐसा हो सकता है)(T8 यानी T 8थोरेसिक का आठवां मंनका इसी से nerve जाती है,  पैक्रीयासके लिए इसीलिए डायबिटीज के रोगियों को  देते हैं)


हमारे शरीर में पैक्रियास नामक ग्लैंड है जो कई केमिकल्स बनाता है जिनमें से एक है इंसुलिन. 


इंसुलिन एक हार्मोन है। यानी संदेश ले जाने वाला केमिकल

जिसके काम इस प्रकार है


खाने में जो मीठे पदार्थ है उसे कार्बोहाइड्रेट कहते हैं

 ये कार्बोहाइड्रेट्स पचकर ब्लड में मिल जाने से blood मैं ग्लूकोज अथार्थ शुगर की मात्रा बढ़ जाएगी 


लेकिन यह तभी होगा अगर ब्लड में इंसुलिन हो, नहीं तो नहीं 


इंसुलिन के कई कार्य है उनमें मुख्य इस प्रकार है 


60% इंसुलिन सेल्स के अंदर ग्लूकोज को पहुंचाने के लिए use होता है 

जिससे सेल्स को शरीर के कामों के लिए एनर्जी या शक्ति मिलती है

 एनर्जी ठीक से नहीं मिलने के कारण ही डायबिटीज के बीमारियों को थकान महसूस होती है 


25% इंसुलिन सेल्स के अंदर प्रोटीन अथार्थ amino acids को पहुंचाने के लिए use होता है 


अगर यह कार्य ठीक से ना हो तो हारमोंस एंजाइम्स इत्यादि ठीक से नहीं बनेंगे


 जिससे शरीर में तरह-तरह की बीमारियां आती है गुरु जी की महत्वपूर्ण खोजों में से एक है इंसुलिन का अभाव ही दर्द का मुख्य कारण है 


इस तथ्य का प्रमाण है कई सालों से दर्द है उन्हें हम न्यूरो थेरेपी में 10PAN x3 ट्रीटमेंट देने से उन्हें तुरंत आराम मिल जाता है 10PAN शरीर में ही इंसुलिन बनाता है ऐसा पाया गया है 


10%इंसुलिन सेल्स के अंदर फैट्स को पहुंचाने के लिए use होता है बाकी wastage यानी फालतू होता है


इस बीमारी के दो मुख्य कारण माना जाता है


  • शरीर में इंसुलिन कम बनने से या नहीं बनने से - यह पैक्रियास के ठीक से काम न करने से होता है इसे TYPE 1डायबिटीज या IDDM कहते हैं 

IDDM=insulin dependent diabetes mellitus

यानी ऐसे रोगियों को इंसुलिन की जरूरत है 

अगर यह बचपन में ही आए juvenile diabetics  कहते हैं 


यह ज्यादातर बच्चों में या किशोर अवस्था में पाया जाता है अचानक ही आता है 

इसमें पैंक्रियास के बीटा सेल्स नष्ट हुए होते हैं 

यह साधारणत अनुवांशिक ,यानी माता-पिता से आया हुआ होता है 

ज्यादातर पाया गया है कि यह एक auto immune disorder है 


ऑटो इम्यून डिसार्डर उसे कहते हैं जिसमें थायमस ग्लैंड के सेल्स अपने ही शरीर के सेल्स को मारने लगते हैं 


यानी थायमस ग्लैंड हाइपर एक्टिव hyper active हो जाता है


 इस बीमारी में बीटा सेल्स के विरुद्ध शरीर एंटीबॉडीज antibodies बना लेता है।  सेल्स को एनर्जी के लिए ग्लूकोज यानी शुगर की जरूरत है।  लेकिन इंसुलिन के अभाव में ग्लूकोस सेल के अंदर घुस नहीं सकता


 ऐसे व्यक्तियों को न्यूरो थेरेपी में पैंक्रियास को उकसाकर एवम थायमस  ग्लैंड को एस्ट्रोजन द्वारा दबाकर ठीक किया जाता है


  • इंसुलिन बन रहा है , लेकिन शरीर में उसका उपयोग ठीक से नहीं हो रहा है

 इसे Type ll    डायबिटीज NIDDM कहते हैं

NIDDM=non-insulin-dependent diabetes mellitus


 यानी ऐसे रोगियों में इंसुलिन की कमी नहीं है यही डायाबैटीस का सबसे common  स्वरूप है जो आम व्यक्तियों में पाया जाता है 


अधिकांश रोगी obese यानी मोटे होते हैं इसका मुख्य कारण है sedentary lifestyle यानी शारीरिक व्यायाम रहित जीवन शैली 

जब मनुष्य व्यायाम नहीं करता है तो सेल्स को शुगर की जरूरत बहुत कम होती है।  तो इंसुलिन रहते हुए भी सैल्स शुगर को यूज नहीं करते।  इसलिए ब्लड में शुगर की मात्रा कम नहीं होती 

इन लोगों में ब्लड में शुगर एवं इंसुलिन दोनों ही सामान्य मात्रा से अधिक हो सकते हैं 

इसका एक और कारण ऐसा समझा जाता है कि सेल्स के अंदरी दीवार में कुछ ऐसे परिवर्तन होते हैं कि वे इंसुलिन होने के बावजूद भी ग्लूकोज का सेल के अंदर प्रवेश होने में रुकावट डालते हैं


 1 Type I l  डायाबीटीज के व्यक्ति को न्यूरो थेरेपी उपचार द्वारा खाने में शुगर कम लेने के अलावा व्यायाम भी करना चाहिए गुरु जी का कहना है कि पसीना बहाने से बढ़कर कोई इलाज नहीं अगर ह्रदय रोग ना हो तो समतल भूमि पर सैर करने के बजाए हर दिन दंड बैठक एवं 200 तक सीढ़ियां चढ़ना ज्यादा लाभदायक है


 डायाबैटीस के कुछ लक्षण- 


  • Hyperglycemia यानी रक्त में शुगर का बढ़ जाना


  • Gycosuria यानी पेशाब में शुगर का आना-  अगर कई सालों से ब्लड शुगर की मात्रा 170 mg/dl से अधिक हो तो polyuria,polydypsia,polyphagia इत्यादि हो सकते हैं

  • Polyuria- ज्यादा एवं बार बार पेशाब आना जिसमें यूरिन का घनत्व  specific gravity अधिक होगा 


खास तौर पर इन्हें रात को कम से कम तीन चार बार पेशाब जाने के लिए उठना पड़ता है

  • Polydypsia - ज्यादा प्यास लगना


  • Polyphagia ज्यादा खाने की प्रवृत्ति


  • फोड़े, जख्म या घाव इत्यादि जल्दी नहीं भरते


  • जांघों के बीच तथा जननेद्रियों के आसपास खुजली


  • कुछ लोगों में वजन कम होता है तो कईयों में वजन अधिक होता है

  • जरा सा काम करने पर थकावट महसूस होती है

  • दीर्घकालीन रोगियों के सांस एवं पेशाब में फलों जैसी एक मीठी सी खुशबू होती है


गुरुजी का महत्वपूर्ण observation


अगर किसी को चार पांच साल  या उससे अधिक समय से ब्लड शुगर 300 से अधिक हो तो अधिकांश उसके पैरों के तलवे में जलन, या सुन्नपन आ जाती है। 

 जब वे नंगे पैर चलते हैं तो उन्हें ऐसा लगता है कि वह किसी गादले या कीचड़ पर चल रहे हैं। 


 कुछ लोगों को पैर के अंगुली पर चोट लगने का भी एहसास नहीं रहता। 

 यह इसलिए है कि उनके पैरों के कुछ भाग में रक्त के थक्के के कारण रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं है जिसके सेल्स को पर्याप्त एनर्जी नहीं मिलती है। 


 अगर ज्यादा दिन तक उस चोट की देखभाल न की जाए तो जगह काला पड़ जाता है जिससे गैंग्रीन gangrene कहते हैं 


और डॉक्टर उस अंगुली को काटने की सलाह देते हैं ऐसे पेशेंट को भी न्यूरोथेरेपी ट्रीटमेंट देकर ठीक कर सकते हैं


खून के अंदर शुगर क्यों बढ़ता है


खाने के तुरंत बाद ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ना स्वाभाविक है क्योंकि कार्बोहाइड्रेट पचकर ग्लूकोज के रूप में ब्लड में ही जाएंगे 

लेकिन खाने के 2 घंटे के अंदर वह नॉर्मल यानी 110- 140 mg/dl  में आ जाना चाहिए। 

 लेकिन निम्न कारणों से ब्लड में शुगर बढ़ जाता है


  • शरीर के सेल्स द्वारा शुगर का चयापचय ठीक से नहीं होता

  • अगर शरीर में इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में हो तो लीवर और skeleton के muscles द्वारा excess glucose को glycogen के रूप में स्टोर किया जाता है ताकि जरूरत होने पर उसे काम में लाया जा सके लेकिन इंसुलिन के अभाव में या अन्य किसी कारणवश डायाबैटीस रोगियों के लिवर इत्यादि excess glucose को उठाने में असमर्थ हैं। 


  • इतना ही नहीं, सेल्स में ग्लूकोज न पहुंचने के कारण तथा ग्लाइकोजेन की मात्रा पर्याप्त न होने के कारण शरीर अपनी amino acids  तथा glycerol को glucose मैं convert करने लगता है। 

 इस नए ग्लूकोज के उत्पादन भी ब्लड शुगर बढ़ने का कारण बन जाता है


पेशाब में शुगर कब और क्यों आता है


किडनीज के glomerular filtrate मैं उतना ही शुगर होता है जितना ब्लड में है। 

 जब ब्लड शुगर की मात्रा एक critical lavel के ऊपर चला जाता है।  तब किडनी के tubules  उस शुगर को reabsorb पुन:शोषण करने में असमर्थ हो जाते हैं।  जिसके कारण वह excess sugar पेशाब में आ जाता है। 

 जब कई महीनों तक रक्त में शुगर की मात्रा 300 से 500 mgm/ 100 ml तक बढ़ जाए तब ऐसा होता है। 


 रक्त में excess sugar होने से osmotic pressure के कारण पानी भी कम reabsorb होगा।  अतः पेशाब भी ज्यादा मात्रा में होगा। 


साथ ही,ECF    एक्स्ट्रा सेल्यूलर फ्लूइड  में electrolytes का balance बिगड़ जाता है। 


 और पेशाब का specific gravity  भी बढ़ता है


Neurotherapy में डायाबैटिस हो एसिडोसिस की बीमारी क्यों माना जाता है



पहली बात तो यह है कि न्यूरो थेरेपी में पाया गया है कि अधिकांश रोगियों में MU o  वाले पॉइंट में दर्द होता है 

एनाटॉमी के अनुसार इसका कारण इस प्रकार सा है-  

साधारणत शरीर में अगर इंसुलिन ठीक तरह से काम करें तो सेल्स को ग्लूकोस मिलता है 


जिसे जलाकर सेल्स एनर्जी energy प्राप्त करते हैं। 

 लेकिन डायाबैटीस के रोगियों में इंसुलिन के अभाव के कारण उनका शरीर fats या प्रोटीन को metabolise  करके जलाकर टिशूज एवं सेल्स को एनर्जी प्रदान करता है। 

 उसके कारण लीवर के सेल्स में aceto acetic acid तथा कुछ अन्य acidic chemicals बनते हैं जिन्हें ketone bodies कहा जाता है। 

 इसके कारण body fluids  में acidosis  हो जाता है


इस acidosis के तीन कारण है

  • Ketone bodies मैं acidic products ही होते हैं

  • ECF मैं hydrogen ions के बढ़ जाने से ketone bodies को किडनीज  द्वारा बाहर निकालने के लिए ECF से sodium ions की जरूरत है।  और उन sodium ions की जगह में hydrogen ions की बढ जाते हैं


  • ECF मैं bicarbonate ions कम हो जाने से Severe diabetes मैं पेशेंट बहुत तेजी से गहरी सांसें लेने लगता है। 

 जिसे kussmaul respirationकहते हैं। 

 इससे शरीर से Carbon dioxide अधिक मात्रा में निकल जाता है। 

 और ECFमैं bicarbonate ions कम हो जाते हैं

bicarbonate ions शरीर में buffer का काम करते हैं 

यानी acid- Alkali balance को बनाए रखते हैं 

उनकी कमी से acidosisहोगा ही 

अगर ब्लड का PH 7.2 से नीचे यानी 7 . 0 तक जाए तो पेशेंट कोमा में चला जाता है

 अगर PH 7 .0से नीचे 6.8 तक जाये तो मौत आ जाती है



डायाबैटीस के कुछ खास उलझन



जिनको 5 साल से डायबिटीज हो उन पेशेंटो को हर साल full checkup कर लेना चाहिए।  ब्लड टेस्ट के अलावा उन्हें खासकर serum cholesterol एवं Renal function test जरूर कर लेना चाहिए


  • पैर या तलवे में सुन्नपन numbness आ जाना। 

 पैरों की अंगुलियों या तलवे में चोट लगने से उन्हें पता नहीं चलता।  और कभी-कभी यह इतना serious सीरियस हो सकता है कि घाव के कारण पैर में जहर भर जाता है। 

 और वह अंगुली काली पड़ जाती है इसे gangrene गैंग्रीन कहते हैं


 और डॉक्टर  ऊगली की काटने की सलाह देते हैं।  लेकिन ऐसे पेशेंटो को भी न्यूरोथेरेपी द्वारा 3 से 4 महीनों में ठीक किया जा सकता है

  • किडनीज   का  इसका बिगड़ जाना। Kidney failure  इसका कारण ठीक से मालूम नहीं है।  ऐसा सोचा जाता है कि शायद किडनीज के विरुद्ध कोई immune reactionहोता है।  जिससे शरीर के काफी सारे छोटे एवं बड़े ब्लड vassels damage हो जाते हैं। TYPE 1 डायबिटीज में kidney failure  ही अधिकांश रोगियों में मौत का कारण बन रहा है।  ह्रदय तथा paraysis जैसे रक्त संचार की बीमारियां -  डायाबैटीस, हार्ट एवं किडनी की


  • बीमारियों का एक मुख्य कारण एथेरोस्क्लेरोसिस atherosclerosis जो मूलत हाइपो थायराइड से होता है। 

  • बार-बार infection का होना क्योंकि घाव जल्दी नहीं भरते Severe infection पैंक्रियास को भी बिगाड़ता है। 


  • Hypogycemic coma यह शुगर की कमी से आता है।  अगर पेशेंट में डायाबैटीस के लिए दवाई खायी हो लेकिन या तो उसने तुरंत खाना नहीं खाया या खाने के बाद उसने उल्टी कर दी तो दवाई के कारण ब्लड शुगर नॉर्मल से बहुत कम हो जाएगा इससे पेशेंट कोमा यानी बेहोश की अवस्था में चला जाता है hyper यानी ज्यादा ,हायपो यानी कम miaयानी ब्लड से संबंधित,glycemia यानी ब्लड में ग्लूकोस अर्थIत शुगर


  • Hyperglycemic coma इसे diabetic coma भी कहते हैं

 यह इंसुलिन की कमी से आता है

 इस बीमारी में ब्लड में ketone Bodies बढ़ जाते हैं जो acidic पदार्थ होते हैं। 

 इसलिए इसेacidotic coma भी कहते हैं 

Ketone bodies कि अपनी खास सुगंध है 

जब ये यूरिन में भी आने लगते हैं तब रोगी के पैसाब और सांस में एक अजीब सी फलों जैसी मीठी खुशबू होती है

 जिसे ketone breath कहते हैं यह severe डायबिटीज की  पहचान है 

Dehydration के कारण आंखों के eyballs  नरम बन जाते हैं।  इनके आंखों के रेटीना कमजोर हो जाते हैं जिसे diabetic retinopath कहते हैं। 

Note Tbr 17th ed p 424 me diabetic coma और hypoglycemic coma   के डायग्नोसिस का table दिया है

 हाइपो = कम 

 हायपर = ज्यादा 

ग्लाइसीमिक यानी शुगर से संबंधित


व्याख्या


 कोमा यानी लंबी अवधि तक बेहोश हो जाना - इसमें ब्रेन काम नहीं करता, लेकिन बाकी अंग काम करते हैं।  कई कारणो से ऐसा हो सकता है।  इनमें कुछ है शुगर की कमी, इंसुलिन की कमी, ब्लड में एसिड की मात्रा अत्यधिक बढ़ने से, या सिर पर मार या चोट लगने से

हाइपो = कम 

 हायपर = ज्यादा 

ग्लाइसीमिक यानी शुगर से संबंधित




  इंसुलिन की कमी से ब्लड में शुगर की मात्रा अगर बहुत ही अधिक बढ़ जाए और उससे जब आदमी कोमा में चला जाय तो उसे हायपर ग्लाइसीमिक कोमा  या डायाबैटीक कोमा कहते हैं। 

 जब शरीर में इंसुलिन अधिक मात्रा में हो तो उससे शुगर की मात्रा बहुत ही कम हो जाती है।  जिससे ब्रेन को पर्याप्त ग्लूकोज न मिलने के कारण रोगी कोमा में  जाता है।  चुकी यह कोमा शुगर की कमी से 

आयी  इसलिए इसे हाइपो ग्लाइसीमिक  कोमा कहते हैं 

ऐसा क्यों और कब होता है इसे अब समझे


 साधारणत   हमारे शरीर में negative feedback mechanism नामक सिस्टम है, जिसके कारण, आम व्यक्ति  के शरीर में इंसुलिन इतना ज्यादा नहीं बनेगा कि मनुष्य कोमा में जाए। 

 लेकिन अगर डातबटीस के रोगी को इंसुलिन का इंजेक्शन या गोली दिया जाए तो उसके बाद निम्न कारणों में से किसी एक से भी शरीर में शुगर की मात्रा कम हो सकती 


  • रोगी ने ठीक समय पर खाना नहीं खाया खासकर रोगी ने दवाई लेने के बाद भोजन करने में देर कर दी


दवाई लेने के बाद रोगी ने खाना खाया और बाद में उसने उल्टी कर दी तो - ऐसा क्यों ? जो इंसुलिन गोली  या इंजेक्शन के रूप में शरीर के अंदर पहुंच चुका है - वह तो अपना काम करेगा ही - अथार्थ  रक्त में शुगर की मात्रा को कम करने का काम शुरू कर देगा। 

 तब उस शुगर की कमी को पूर्ति के लिए भोजन से जो शुगर की आवश्यकता थी, सो नहीं मिलने के कारण, उस दिन रक्त में शुगर की मात्रा सामान्य से बहुत कम हो जाती है और ब्रेन के सेल्स को पर्याप्त ग्लुकोज  न मिलने के कारण आदमी कोमा में चला जाता है

  • अगर इंसुलिन का overdose हो जाय यानी शरीर की जरूरत से अधिक मात्रा में गोली ले लेने से।  यह तब भी हो सकता है जब अचानक रोगी के भोजन में बदलाव आयी हो।  समझो रोगी को रोज तीन चपाती खाने की आदत थी लेकिन भूख ना लगने से या अन्य किसी कारण से उसने उस दिन चपाती या चावल नहीं खाये तो उसके शरीर में पर्याप्त शुगर नहीं पहुंचेगा अगर उसने रोज जितनी ही गोली खायी, वह उस दिन कि शुगर से अधिक हो गयी और वह कोमा में जा सकता है। 

याद रहे- कोमा चाहे शुगर की कमी से आये चाहे शुगर बढ़ने से ये दोनों डायाबैटीस के पेशेंटो को ही आते हैं।  और कोमा अक्सर उन्हीं को आता है जो बीमारी के लिए इंसुलिन की गोलि या इंजेक्शन लेते हैं


डायाबैटीस के लिए न्यूरो थेरेपी उपचार



न्यूरोथेरेपी की खासियत है कि हम केवल रोग का इलाज नहीं करते ,बल्कि उसके शरीर को ठीक करते हैं 

रोगी जब हमारे पास आते हैं तो उस दिन उनके शारीरिक अवस्था को ध्यान में रखकर ही उपचार किया जाता है।  जैसे जैसे रोगी की अवस्था सुधरती जायेगी वैसे ही उपचार भी बदल जाएगा

  • सबसे पहले MU o  में दर्द चेक करना है।  जिन्हे MU o  में दर्द हो उनके लिए पहला उपचार है

30 medulla

6 ADR+6ADR


 इसके बाद में UDF आ रहा है या नहीं यह पूछना है 

अगर UDF आए तो उसे UDF Tretment देना है 

अगर मौसन बहुत कड़क हो तो इंटेस्टाइन की motility बढ़ाने के लिए 

Gas only 6 point के बाद 

1Gas I 6 point


 हर tretment के साथ में देना है

 UDF का प्रॉब्लम ठीक होने के बाद नीचे दिए गए उपचार पद्धति के अनुसार करना है


  • ज्यादातर इस बीमारी के पेशेंटो  में MU o  दर्द पाया गया है साथ में इसे एक ऑटो इम्यून डिसऑर्डर भी माना जाता है यानी इस बीमारी में थाइमस ग्रंथि ज्यादा काम कर रहा है न्यूरो थेरेपी में हम ADR उपचार द्वारा अड्रीनल ग्लैंड को उठाकर थाइमस ग्रंथि के hyper- activity को suppress करते हैं यानी कम करते हैं 


साथ में रक्त के थक्के को खोलने के लिए हेपरिन ट्रीटमेंट भी देने से पेशेंट को ज्यादा आराम मिलता है


 सो उपचार इस प्रकार होगा 

ATF 6 ADR

A.Haparin 6ADR



इस ट्रीटमेंट से लाखों पेशेंटो   को बहुत लाभ हुआ है लेकिन कभी-कभी एकाद पेशेंट ऐसे आ जाते हैं जिन्हें 6 ADR देने से अच्छा नहीं लगता। 

 तो उनको 6ADRनहीं देना। 



  • अगर MU o में दर्द नहीं है तो नीचे का ट्रीटमेंट बहुत अच्छा है

8PAN,6 WD,8Ch,20@,L1- L5


  • Anatomy से यह पता है कि estrogens हारमोंस thymus gland को suppress करते हैं।  न्यूरो थेरेपी में हम LT,Ov, देकर estrogens को उकसाते  हैं

 सो नीचे का उपचार उनके लिए सबसे बेहतर है जिन्हे MU o में दर्द नहीं



I    20 TF Lt,ov,6nns,Lt,ov+1Lt,ov   x3 


II 3Pan,1Wd,2Ch,only,5@,L1-5 x3


पहले गुरुजी 20 @T6-L5 तक देते थे T1-T5 इसलिए छोड़ा गया क्योंकि उसमें थायमस ग्लैंड उकसाया जाएगा जो इन्हें नुकसान पहुंचा सकता है जब देखा गया कि कुछ पेशेंट को ADR अच्छा नहीं लगता, तब से 20,@L1-L5 तक दिया जा रहा है इसमें नीचे लाइन इसलिए डाला गया है कि थेरेपिस्ट गलती से आदत के वजह से ऊपर से ना दे दे।  सो कार्ड में ऐसा ही लिखना 

इसी उपचार को चार-पांच महीने देते जाने से ब्लड शुगर धीरे-धीरे कम होता जाएगा

  • साधारणत  डायाबैटीस में हाइपो थायरोइड hypothyroidism होता है।  इसके लिए निम्न उपचार करना है

1/2ku 40sec,6Medulla,4 Thrd,p,4Thyroid


  • अगर पेशेंट को hypthyroid  के कारण atherosclerosis भी है तो नीचे का उपचार अच्छा है



 4Thrd,2Thrd,P.Heparin

     

      5 minutes rest


4 Thrd,2Thrd,p.Heparin



ऊपर के किसी भी ट्रीटमेंट के साथ में इंसुलिन बढ़ाने के लिए 10 pan x3 tretment जरूरत के अनुसार सप्ताह में एक या दो बार देना है इंसुलिन के लिए


  • अगर पेशेंट की डायाबैटीस के साथ हाई बीपी भी हो तो उन्हें नीचे वाला उपचार से लाभ होगा

Lactic formula-

6rt,ov,6Lt,ov,8pan,12Liver,6Adr


 यही ट्रीटमेंट घुटनों के दर्द के लिए भी अच्छा है


सारे शरीर में दर्द अगर हो तो j.heparin देने से आराम पहुंचता है

  • एक juvenile diabetic यानी जिसे डायाबैटीस  बचपन से ही थी उसे निम्न उपचार से बहुत लाभ हुआ

Oxygen

3pan,1wd,2Ch,only,2adr, x3



Diabetic coma को ठीक करने के लिए पहले Mild ATF  देना है बाद में भारी उपचार दे सकते हैं।  जब पेशेंट कोमा से निकल जाए तो अन्य उचित tretment देकर उसे ठीक कर सकते हैं

  • जिनको घाव जल्दी नहीं भरते उनके लिए नीचे का उपचार बहुत ही अच्छा है


20 tf,Ltov,6nns Lt,ov,+6Lt,ov    x6


  • चेन्नई के chromepet तथा अन्य कई न्यूरोथेरेपी सेंटर में इसे use करके बहुत अच्छे result पाए गए


Latest treatment for insulin


  • 60Tf,pan,18 nns,pan,+10pan

  • 10 pan x3 tretment


  • Hypoglycemic coma is because sugar to brain becomes slow due to low blood sugar

ब्लड में शुगर बढ़ाने का न्यूरो थेरेपी उपचार है

4PIT 

और पेट पेशेंट कोमा में हो तब भी यह दे सकते हैं


,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

diabetics को swt ,pit ,spl ,thymus ,or, vtf इत्यादि नहीं देना हर दिन ट्रीटमेंट के अंत में हथेली के तलवे से पीठ में T8   मनके के चारों ओर दबाकर दर्द निकालना, है

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


Note


 अगर जख्म  या घाव हो, तो ठीक होने तक, हर दिन जो भी ट्रीटमेंट दे रहे हैं उनके अंत में 4 Thrd जोड़ना है


जिनको पैरों में सुन्नपन numbness या जलन या दर्द हो तो पैरों में ब्लड सप्लाई बढ़ाने के लिए ट्रीटमेंट के अंत में  BOF देने से ही कुछ ही दिनों में दर्द ,जलन इत्यादि ठीक हो जाएगा

  • अगर गैंग्रीन भी हो तो एक दो महीने तक BOF देने से पैर या  उंगली काटने की नौबत नहीं आएगी अगर BOF  से पूर्ण लाभ न मिले तो ट्रीटमेंट के अंत में vasanti देने से बहुत लाभ होगा।  अगर डायाबैटीस पेशेंट को viral fever हो तो 1Liv-3 वाला x 6  देने से  fever  निकल जाएगा


  • Testing डायाबैटीस है या नहीं इसका पता blood test  से होता है पहले भूखे पेट में ब्लड टेस्ट लेते हैं जिसे Fasting blood sugar कहा जाता है यह साधारणत 70 -115 mgm per dl  होता है।  

इसके बाद पेशेंट को खाना खाने के लिए कहा जाता है और भोजन के 2 घंटे के बाद दुबारा ब्लड टेस्ट किया जाता है जो साधारण थे 130- 160 mgm per dl होता है। 


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               Neurotherapist Mukesh Sharma

                     Contect -9414334143

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