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दुनियां की सबसे कम फीस में सीखे

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*दुनिया की सबसे कम फीस में सीखे*          *न्यूरोथैरेपी सम्पूर्ण कोर्स*                     फीस 30000/              NEUROTHERAPY *कहा जाता है पहला सुख निरोगी काया. अपने शरीर का सबसे ज्यादा खयाल रखो, इसी की बदौलत आप कोई भी काम करने में सक्षम होते हैं. यदि यही किसी काम का नहीं रहेगा, तो आप जीवन में कुछ भी नहीं कर पाएंगे. इसलिए सेहत का खयाल रखें और शारीरिक और मानसिक, दोनों रूप में सेहतमंद रहें*                😄*उपचार से रोजगार*😄                    💍 *सुनहरा मौका*💍 💉*चिकित्सा जगत में कैरियर बनाने का एक शानदार अवसर*💉 N0 Medicine 💊 No pain, 😩 No side Effect,        ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,  यह कोर्स कोई भी ,कभी भी, किसी भी उम्र में कर सकता है *न्यूरो थेरेपी* *प्रशिक्षण*  *NEUROTHERAPY* *COURSE*  यह कोर्स भारत के हर राज्य में उपलब्ध है युवक / युवतियां यह कोर्स कर सकते है सभी बीमारियों का न्यूरो थेरेपी द्वारा सफल इलाज कोर्स के बाद आप छोटी बड़ी कई बीमारियों का इलाज स्वयं कर सकेंगे जैसे  पेट से संबंधित सभी रोग, नाभी से

रिफाइंड तेल के नुकसान

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  रिफाइंड ऑयल के नुकसान हो सकता है की एक बार आप नाली का कचरा भी खा जाओ तो शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम उससे मुकाबला कर ले ,,परंतु रिफाइंड तेल के आगे आपकी प्रतिरोधक क्षमता भी जबाब देने लगेगी,,, हमेशा सदा के लिए रिफाइंड तेल का बहिष्कार करे और स्वस्थ रहे,,,,  बहुत ज्यादा गम्भीर विषय है यह रिफाइंड तेल के बारे में लोगों के बीच आम राय ये है कि इससे कम नुकसान होता है. जबकि ऐसा नहीं है क्योंकि जैसा विज्ञापनों में दिखाया जाता है वो सिक्के का सिर्फ एक पहलू है. सिक्के का दूसरा पहलू जो कि स्याह है, कोई नहीं दिखाता है. रिफाइंड तेल पिछले 20 -25 वर्षों से हमारे देश में आया है. आज ये कई विदेशी कंपनियों के लिए कमाने का एक अच्छा स्त्रोत है. अपने फायदे के लिए इन लोगों ने टेलीविजन विज्ञापनों और कई अन्य तरीकों से इसका खूब प्रचार किया. लेकिन जब इसपर भी बात बनती नहीं दिखी तो इन्होंने डॉक्टरों के माध्यम से इसके तथाकथित फायदे गिनवाने शुरू कर दिए. तब डॉक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्शन में रिफाइन तेल लिखना शुरू कर दिया कि तेल, सफोला का खाना या सनफ्लावर का खाना. जबकि उन्हें ये कहना चाहिए कि घानी से निकला हुआ शुद्ध सरसों

Anorexia भुख ना लगना उपचार

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Anorexia                             भूख न लगना   यह बीमारी ज्यादा  तौर पर ज्यादा शराब पीने वालों को या जो drugs जेसी दवाइयों के आदि है - उन्हें आती है। इस में भूख न लगना , उदासी का रहना , शरीर का टूटना , बुखार का कभी कभी आना , पेट का खराब होना इत्यादि होता है । ये अधिक तर दवाइयों  के साईड इफैक्ट्स से आती है । नींद ठीक से आए , तभी भूख ठीक से लगेगी । सो हम सेरोटोनिन को विभिन्न जगहों से उकसाता है जो नींद लायेगी। 1st. Day.  1  ITF - ( दवाइयों के दुष्प्रभाव को खतम करने के लिए )  N A N - (पेट सेट कर ने के लिए)    2nd. Day.(8) Medulla (6) Gas'I' (6) ADR   (20) ( back of knees)   (8) Medulla      ब्रेन के सेरोटोनिन के लिये  (6) Gas I          आतडियो के नर्वस सिस्टम द्वारा सेरोटोनिन बनाने के लिये  (6) Adr            कॉर्टीसॉल के लिये (20) (back of knees)। इससे नींद अच्छी आती है  (6) Adr           इसलिए दिया है क्योंकि ऐड्रिनल ग्लैंड के कॉर्टीसॉल की कमी से भी व्यक्ति को डिप्रेशन , उदासी या भूख न लगना इत्यादि हो जाता है ।         अगर पेशंट के हाथ काप रहे हो या हाथों या पांवों का ठंडा रहन

जीना है तो गेहूं छोड़ो

 *जीना है तो गेहूं छोड़ो.....* अमेरिका के एक हृदय रोग विशेषज्ञ हैं डॉ विलियम डेविस।उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी 2011 में जिसका नाम था "Wheat belly गेंहू की तौंद"।यह पुस्तक अब फूड हेबिट पर लिखी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक बन गई है। पूरे अमेरिका में इन दिनों गेंहू को त्यागने का अभियान चल रहा है। कल यह अभियान यूरोप होते हुये भारत भी आएगा। यह पुस्तक ऑनलाइन भी उपलब्ध है और कोई फ़्री में पढ़ना चाहे तो भी मिल सकती है। चौंकाने वाली बात यह है कि डॉ डेविस का कहना है कि अमेरिका सहित पूरी दुनिया को अगर मोटापे, डायबिटिज और हृदय रोगों से स्थाई मुक्ति चाहिए तो उन्हें पुराने भारतीयों की तरह मक्का, बाजरा, जौ, चना, ज्वार या इन सबका मिक्स (सामेल) अनाज ही खाना चाहिये गेंहू नहीं, जबकि यहां भारत का हाल यह है कि 1980 के बाद से लगातार सुबह शाम गेहूं खा खाकर हम महज 40 वर्षों में मोटापे और डायबिटिज के मामले में दुनिया की राजधानी बन चुके हैं। आज इस संदर्भ में मेरे मित्र ने चर्चा छेड़ी तो यह पोस्ट लिख रहा हूं। गेहूं मूलतः भारत की फसल नहीं है।  यह मध्य एशिया और अमेरिका की फसल मानी जाती है और आक्रांता बाबर के भारत आ

स्कर्वी ,(Scurvy)मसूड़ों की बीमारी का इलाज

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                                                              Scurvy ( Disease of Gums) स्कर्वी नामक मसूड़ों की बीमारी यह बीमारी विटामिन C की  डैफीशियन्सी (deficiency ) से आती है जिससे रोगी के दांतों या gums यानि तो  मसूड़ों से रक्त  बहने लगता है और वे gums सूज भी जाते हैं यह विटामिन आंवला, नींबू, संतरा ,पेरू इत्यादि में पाया जाता है । विटामिन की बीमारी है इसलिए हमें  पे ट तथा पाचन संस्थान को ही ठीक करना है ताकि भोजन से इसका अवशोषण ठीक प्रकार से हो Treatment (1) UDF (II) NAN / FAN                Neurotherapist Mukesh Sharma                              94143-34143

Pyorrhea treatment

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     PYORRHEA  पयोरिया यानि मसूडों मे सूजन इस बीमारी में दांतो से पस व रक्त निकलता है और बांस भी आती है ।यह भी इन्फलमेशन की बीमारी है सो इन्फलमेशन दूर  करने से ठीक हो जाएगी Treatment  ITF            Neurotherapist Mukesh Sharma                        94143-34143

Jaundice Tretment

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  JAUNDICE जब ब्लड यानी रक्त मे बिलिरुबिन (bilirubin)  नामक केमिकल की मात्रा नॉर्मल से बहुत बढ़ जाय उसे पीलिया या ज्वांडिस  कहते हैं । रक्त की जांच blood test  से हम इसका पता लगा सकते हैं यह अपने में एक बीमारी नहीं है,  मगर सूचक है कि शरीर में बिलिरुबिन का चयापचय ठीक से नहीं हो रहा है  जब लिवर,  स्प्लीन एवं बोन मैरो के reticulo -endothelial cells द्वारा पुराने RBC's तोड़े जाते हैं,  तब हिमोग्लोबिन से बिलिरुबिन नामक एक नारंगी - पीले रंग का पदार्थ निकलता है । यह पानी में घुलनशील नहीं है अगर लीवर ठीक काम करें तो यह बिलीरुबिन को बदलकर उसे घुलनशील बनाता है और उसे बाइल ( bile )बनाने के काम में उपयोग में लाता है | बाइल  एम्पूला ऑफ वेटर (Ampoulla of vater)  द्वारा छोटी आंत में पहुंचता है ।  वहां से बिलीरूबिन का अधिकांश भाग टट्टी में stercobilinogen बनकर निकल जाता है  और कुछ भाग को शोषण किया जाता है वह पेशाब  द्वारा urobilinogen के रूप में निकाल दिया जाता है। साधारणतः  रक्त  में बिलीरूबिन की मात्रा प्रति लीटर में 3 - 13 umol तक होता है ।  अगर बिलिरुबिन को घुलनशील रूप में लीवर नहीं बदल पाता